सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस से मनीष कश्यप पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) की धारा लगाने पर जवाब मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी। तब तक मनीष कश्यप मदुरई की सेंट्रल जेल में ही रहेंगे। तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों पर कथित हमले के फर्जी वीडियो शेयर करने के मामले में मनीष को गिरफ्तार किया गया था। उसके खिलाफ बिहार और तमिलनाडु में अलग-अलग एफआईआर दर्ज हैं।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक मनीष कश्यप की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। इसमें उसने तमिलनाडु पुलिस द्वारा लगाई गई रासुका हटाने की मांग करते हुए दोनों राज्यों में दर्ज केसों को एक साथ जोड़ने की मांग की। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार (21 अप्रैल) को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए तमिलनाडु पुलिस को नोटिस जारी किया। SC ने नोटिस में तमिलनाडु से पूछा है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ एनएसए क्यों लगाया गया, इस पर जवाब दें।

तमिलनाडु और बिहार सरकार ने किया याचिका का विरोध

सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान बिहार और तमिलनाडु की सरकार ने मनीष कश्यप की याचिका का विरोध किया। तमिलनाडु की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि मनीष कश्यप के यूट्यूब पर 60 लाख से ज्यादा फॉलोवर्स हैं। उसने तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों पर हमले के फर्जी वीडियो बनाकर अपने अकाउंट पर शेयर किए जो कि गंभीर अपराध है। वह कोई पत्रकार नहीं बल्कि एक राजनेता है और चुनाव भी लड़ चुका है।

बिहार सरकार ने कोर्ट में मनीष कश्यप को आदतन अपराधी करार देते हुए कहा कि उसके कृत्य सिर्फ वीडियो बनाने तक सीमित नहीं हैं। उसके खिलाफ धारा 307 समेत कई सीरियस मामले दर्ज हैं।

मनीष कश्यप की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वकील सिद्धार्थ दवे ने दलील रखी। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु पुलिस ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से मनीष के खिलाफ केस दर्ज किए। क्या इस पर रासुका लगाना सही है? उन्होंने मनीष के खिलाफ दोनों राज्यों में दर्ज एफआईआर को क्लब करने की मांग भी की। मामले की अगली सुनवाई अगले शुक्रवार (28 अप्रैल) को होगी।

Source : Hindustan

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