DHARM
केदारनाथ धाम के कपाट खुले, भारी बर्फबारी के बीच दर्शन के लिए भक्तों की उमड़ी भीड़

चार धामों में से एक केदारनाथ धाम के कपाट आज खुल गए। पूरे विधि-विधान के साथ सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर मंदिर के कपाट खोले गए। हालांकि केदारनाथ में भारी बर्फबारी हो रही है इसके बावजूद बड़ी तादाद में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे हैं। जानकारी के मुताबिक मंदिर परिसर में 7 हजार से ज्यादा श्रद्दालु मौजूद हैं। कपाट खुलने के मौके पर पूरे मंदिर को फूलों से सजाया गया है। जानकारी के मुताबिक मंदिर को सजाने के लिए करीब 20 क्विंटल फूलों का इस्तेमाल किया गया। इससे पहले सोमवार को उखीमठ से बाबा की डोली को केदारनाथ लाया गया।
समुद्र तल से 3 हजार 581 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर को पांचवें ज्योतिर्लिंग के रूप में भी पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहीं पर भगवान शिव ने पांडवों को बैल के रूप में दर्शन दिए थे। 8वी और 9वीं सदी में जगतगुरु आदि शंकराचार्य ने इस भव्य मंदिर का निर्माण कराया था। .तत्कालीन गढ़वाल नरेश ने मंदिर के निर्माण के लिए सारा प्रबंध किया।
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक विश्वप्रसिद्ध बाबा केदारनाथ धाम के कपाट ग्रीष्मकालीन के लिए मंगलवार को वैदिक मंत्रोच्चारण और विधि विधान से पूजा अर्चना के बाद आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिये गये। pic.twitter.com/RqWVzVYDME
— Hindusthan Samachar News Agency (@hsnews1948) April 25, 2023
केदारनाथ धाम में रुक- रुक कर बर्फबारी व बारिश को देखते हुए उन्होंने श्रद्धालुओं से यात्रा शुरू करने से पूर्व प्रदेश सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए कहा गया है। श्रद्धालुओं से भी कहा गया है कि केदारनाथ आने से पहले मौसम की जानकारी ले लें। प्रतिकूल मौसम के मद्देनजर केदारनाथ धाम में निवास की व्यवस्था पहले से सुनिश्चित करने की अपील भी की गई है। इससे पहले मंदिर के कपाट खुलने की पूर्वसंध्या पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी सोमवार शाम को गुप्तकाशी पहुंचे और यात्रा व्यवस्थाओं की जानकारी ली।
हेलो! मुजफ्फरपुर नाउ के साथ यूट्यूब पर जुड़े, कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ेगा 😊 लिंक 👏
DHARM
साल की सबसे बड़ी निर्जला एकादशी आज, जाने इस तिथि का महत्व

31 मई 2023 यानी कि आज निर्जला एकादशी है। यह सबसे बड़ी निर्जला एकादशी है। कहा जाता है कि व्रत 24 एकादशियों का फल प्रदान करता है। हिंदू धर्म में 24 एकादशियां होती हैं जिसमें इसे सबसे फलदायक माना जाता है। इस व्रत को रखना थोड़ा कठिन होता है क्योंकि इसमें एकादशी तिथि के सूर्योदय से लेकर अगले दिन द्वादशी के सूर्योदय तक बिना अन्न-जल ग्रहण के रहना पड़ता है।
ऐसी मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत करने से व्रती को धन, सौभाग्य, सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है। वहीं इस साल निर्जला एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग का बना है। कहा जाता है कि पांचो पांडवों ने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत रखा था। जिस वजह से इसे “पांडव निर्जला एकादशी” भी कहा जाता है।
DHARM
जानिए बिहार के सूर्य मंदिर के बारे में जिसका निर्माण स्वंय भगवान विश्वकर्मा ने करवाया था

बिहार के औरंगाबाद जिले में देव नामक स्थान पर स्थित प्राचीन सूर्य मंदिर अनोखा है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में कर दिया था। यह भारत का एकमात्र ऐसा सूर्य मंदिर है, जिसका दरवाजा पूर्व की ओर न होकर पश्चिम की तरफ है। इस प्रसिद्ध मंदिर में सूर्य देवता की मूर्ति सात रथों पर सवार है। इसमें उनके तीनों रूपों उदयाचल(प्रात: सूर्य), मध्याचल (मध्य सूर्य)और अस्ताचल (अस्त सूर्य)के रूप में देखने को मिलता है।
यह मंदिर करीब एक सौ फीट ऊंचा है। औरंगाबाद का सूर्य मंदिर स्थापत्य और वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है। जानकारी के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण डेढ़ लाख वर्ष पूर्व किया गया था। यह मंदिर भारत के विस्मयकारी मंदिरों में से एक है। इसे काले और भूरे पत्थरों से बनाया गया है।
औरंगाबाद से करीब 18 किलोमिटर दूर यह सूर्य मंदिर ओड़िशा में स्थित जगन्नाथ मंदिर से मेल खाता है। मंदिर के बाहर शिलालेख है,जिस पर ब्राह्मी लिपि में एक श्लोक लिखा है। जिसके मुताबिक इस मंदिर का निर्माण त्रेता युग में हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि पहले इस मंदिर का द्वार पूर्व की तरफ ही था लेकिन एक बार औरंगजेब मंदिरों को तोड़ता हुआ औरंगाबाद के देव पहुंचा। वहां जाकर उसने मंदिर को तोड़ने की कोशिश की लेकिन पुजारियों ने बहुत विनती की। जिसके बाद उसने कहा कि यदि सच में तुम्हारे ईश्वर में शक्ति है तो कल सुबह तक इसका द्वार पश्चिम की तरफ हो जाना चाहिए।
औरंगजेब अपनी बात रखकर चला गया लेकिन पुजारी सोच में पड़ गए कि अब मंदिर का द्वार कैसे बदलेगा। जिसके बाद उन्होंने सूर्य भगवान की पूजा की। अगली सुबह जब सब वहां गए तो उन्होंने देखा कि मंदिर का द्वार पूर्व से पश्चिम की तरफ हो गया है। कहते है कि इस मंदिर का निर्माण राजा ऐल ने करवाया था। ऐसी मान्यता है कि यहां लोगों की हर मनोकामना पूरी होती है।
DHARM
हिंदू धर्म में केले के पत्ते का महत्व, हर कष्ट का होता है निवारण

हिंदू धर्म में कई पेड़-पौधों का पूजा किया जाता है। उन्हीं में से केले का पेड़ का एक है। पूजा पाठ के दौरान केले का फल, उसके तने और पत्तों का उपयोग किया जाता है। उत्तर भारत से ज्यादा दक्षिण भारत में केले के पत्ते का उपयोग वृहद स्तर पर किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि केले के वृक्ष में साक्षात भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी निवास करती है। गुरुवार की पूजा केले के जड़ में करके से भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न होते है और इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को केले का भोग लगाया जाता है। साथ ही सत्यनारायण भगवान की कथा में केले के पत्ते का मंडप बनाया जाता है। कहते है कि भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को केले के का भोग लगाने से घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती है। घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है।
वहीं मांगलिक दोष वाले व्यक्ति की शादी यदि केले के पेड़ से करा दी जाए तो वह दोष मुक्त हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि केले के पत्ते पर केला फल का भोग लगाया जाता है तो इससे दांपत्य जीवन में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है। दंपति को वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है। इसके अलावा यदि आप अपने घर में केले का पेड़ लगाते है तो इससे आर्थिक संकट दूर हो जाता है और धन की प्राप्ति होती है।
-
BOLLYWOOD1 week ago
60 साल की उम्र में दूसरी बार दूल्हा बने अभिनेता आशीष विद्यार्थी
-
MUZAFFARPUR2 weeks ago
बाबा गरीबनाथ की नगरी में दिव्य दरबार लगाएंगे बागेश्वर सरकार! स्थल निरिक्षण करने पहुंची टीम
-
BIHAR1 week ago
8 साल पहले सिर से उठा था पिता का साया, बेटी ने IAS टॉपर बन लौटाई मां की मुस्कान
-
INDIA2 weeks ago
बिना कोचिंग-ट्यूशन मजदूर की बेटी बनी टॉपर, 500 में पाए 496 नंबर, आईपीएस बनने का सपना
-
BIHAR4 weeks ago
वैशाली में NH-28 पर भीषण सड़क हादसा, ओवरटेक कर रही कार ट्रक से जा भिड़ी; एक ही परिवार के 5 लोगों की मौत
-
BIHAR3 days ago
वौष्णों देवी जा रही बस खाई में गिरी, बिहार के 10 लोगों की मौत, 56 घायल
-
BIHAR1 week ago
UPSC में बिहार की बादशाहत कायम … बक्सर की बेटी गरिमा लोहिया को मिला दूसरा रैंक
-
VIRAL2 weeks ago
हैवानियत : न कांपे हाथ न पसीजा कलेजा, इकलौते बेटे ने मां-बाप को तड़पा-तड़पाकर मारा