बिहार के स्वास्थ्य विभाग में दिसंबर 2022 को भर्ती हुए फिजियोथेरेपिस्ट अभी तक अपने पहले वेतन का इंतजार कर रहे हैं। दस्तावेजों का सत्यापन न होने के चलते अभी तक पहली सैलरी लटकी है। अधिकारियों ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग में कुल 126 नियुक्ति के मुकाबले 117 फिजियोथेरेपिस्ट की भर्ती हुई थी। वहीं बीते साल जून में 82 ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट की नियुक्ति हुई। जिसमें से 5 थेरेपिस्ट को अभी तक अपना वेतन नहीं मिला है।

2022 में भर्ती, अभी तक पहले वेतन का इंतजार

आपको बता दें स्नातक और मास्टर डिग्री से संबंधित शैक्षिक दस्तावेजों के सत्यापन के चलते बीते 9 महीनों से वेतन रुका हुआ है। फिजियोथेरेपिस्ट के दो पदों के लिए न्यूनतम योग्यता इंटरमीडिएट और साढ़े चार साल की फिजियोथेरेपी की डिग्री अनिवार्य थी। पिछले साल पोस्टिंग ऑर्डर जारी करते हुए, स्वास्थ्य विभाग ने एक शर्त रखी थी कि वेतन जारी करने से पहले संबंधित संस्थान और उसके अधिकारी को नए नियुक्त किए गए उम्मीदवारों की शैक्षिक योग्यता खुद जांचनी होगी। वहीं मगध विश्वविद्यालय समेत कई संस्थानों ने दस्तावेजों के सत्यापन के अनुरोध का जवाब नहीं दिया है। जिसकी वजह से वेतन में देरी हो रही है।

दस्तावेजों के सत्यापन के चलते वेतन में देरी

मार्च 2020 में विज्ञापित रिक्तियों के खिलाफ बिहार तकनीकी सेवा आयोग के माध्यम से नियुक्त किए गए फिजियोथेरेपिस्ट और व्यावसायिक चिकित्सक अब पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल और लोक नायक, जय प्रकाश नारायण अस्पताल समेत बिहार की विभिन्न स्वास्थ्य सुविधाओं में प्रतिनियुक्त हैं। पटना के एलएनजेपी अस्पताल के 10 जनरल ड्यूटी फिजियोथेरेपिस्ट में से किसी को भी अब तक वेतन नहीं मिला है।

इसी तरह, आठ नियमित सामान्य ड्यूटी ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट में से दो को भी अभी तक वेतन नहीं मिला है। एलएनजेपी अस्पताल के 10 फिजियोथेरेपिस्ट में से आठ ने मगध विश्वविद्यालय से संबद्ध निजी संस्थानों से स्नातक या मास्टर डिग्री पूरी की है। दो ने राज्य के बाहर से डिग्री हासिल की है। वहीं इस मामले में  एलएनजेपी अस्पताल के निदेशक डॉ सुभाष चंद्रा का कहना है कि हमने पहले ही उनके दस्तावेज उन संस्थानों को सत्यापन के लिए भेज दिए हैं जहां से उन्होंने अपनी स्नातक या मास्टर डिग्री पूरी की है, और हम उनके वेतन का भुगतान करने से पहले सत्यापन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

मीडिया के सामने नहीं आए पीड़ित

नौकरी से जुड़ा मामले होने के चलते कोई भी पीड़ित फिजियोथेरेपिस्ट कुछ भी कहने को तैयार नहीं थे। लेकिन एक कर्मचारी ने कहा, “हम मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं हैं। वहीं इस मामले पर बिहार स्वास्थ्य सेवा के निदेशक डॉ. आरसीएस वर्मा ने कहा, ‘मैं छुट्टी पर हूं और शहर से बाहर हूं। मुझे दस्तावेज़ सत्यापन या डिजिटल भुगतान के चलते, उनका वेतन लंबित होने का सही कारण पता लगाना होगा।जो भी कारण है वो एक-दो दिन में पता पाऊंगा।  हालांकि मामले की जांच तेज कर दी जाएगी।

Source : Hindustan

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