उदासी का मंज़र ही रहा होगा फ़्लाइट लेफ़्टिनेंट संध्या के लिए जब उन्होंने अपनी आँखों के सामने से अपने महबूब को जंगल में खोते देखा होगा. दिल डूबने लगा होगा उनका सामने लगी स्क्रीन कि रडार से An-32 एरक्राफ़्ट के सिग्नल को ग़ायब होता देख.

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ये किसी फ़िल्म का सीन नहीं हक़ीक़त है. पिछले सोमवार को जब 12:30 बजे जब एयरफ़ोर्स का रसियन मेड एयरक्राफ़्ट उड़ान भरा तब उसमें 8 क्रू-मेंबर थे और 5 सिविलियन. उन्हीं 8 क्रू-मेम्बर में लेफ़्टिनेंट तंवर की वाइफ़ ग्राउंड ड्यूटी पर थी. जो सिग्नल रीड कर रही थी. लापता होने से पहले आख़िरी सिंग्नल एक बजे मिला था उस एयरक्राफ़्ट का. उसके बाद वो खो गया अरुणाचल प्रदेश के घने जंगलों में.

Families worried

आज चार दिन बीत चुके हैं. अभी तक कोई ख़बर नहीं मिली है उस विमान की और न उनमें सवार लोगों की. एयरफ़ोर्स अपनी तरफ़ से ढूँढने की तमाम कोशिश कर रहा मगर हासिल अभी तक कुछ भी नहीं हुआ है.

वैसे भी ग़ायब होने की ये कोई पहली घटना नहीं है. 2016 में भी An-32 ग़ायब हो गया था. आज तक उसकी ख़बर कहाँ आयी है. कहाँ कुछ भी पता चल पाया उस पर सवार जाँबाज़ पायलटों के बारे में.

अख़बार के दूसरे-तीसरे पन्नें पर उनके लापता होने की ख़बर कभी छपी थी. जैसे आज इस एयरक्राफ़्ट के लिए छप रही. धीरे-धीरे छपना बंद हो जाएगा. लोग भूल जाएँगे. दूसरे विमान के लापता होने तक.

कोई नहीं समझ सकता उन परिवारों का दुःख जिनके अपने उन विमानों के साथ खो गए. जिनके अपने लौटने का वादा करके तो गये थे पर कभी लौटे ही नहीं. माँ-बाप बूढ़ी होती आँखों में इंतज़ार लिए कभी प्रधानमंत्री को चिट्ठियाँ लिखते हैं तो कभी एयरफ़ोर्स को. कोई जवाब नहीं आता उनके लिए. वो आँखों में इंतज़ार लिए इस दुनिया से चले जाते हैं.

चुनाव के समय जवानों के नाम पर प्रधानमंत्री मोदी जी वोट माँगते नज़र आए थे. अब वक़्त है कि वो चुने जा चुके हैं तो एयरफ़ोर्स के इन कबाड़ी विमानों को हटा नए एयरक्राफ़्ट मँगवाए. रूस और बाक़ी के देशों से उड़ता काफ़ीन ख़रीद कर हमारे जवानों को मौत के मुँह में न ढकेले.

देश के लिए ये जवान सिर्फ़ एक व्यक्ति भर होता है. जिसके जीने मरने से किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता. मगर वो एक जवान अपनी महबूबा की पूरी दुनिया, माँ-बाप के लिए जीने का सहारा और अपने बच्चों का पिता, उनका हीरो होता है.

अब वक़्त आ गया है कि इन जाँबाज़ एयर-फ़ोर्स के पायलटों के बारे में सोचा जाए. उनकी सुरक्षा के लिए ज़रूरी क़दम उठाए जाएँ.

 

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