पटना : साइबर ठगों ने फर्जीवाड़े का नया तरीका ईजाद किया है। इनदिनों वे दुकानों या ऐसे किसी स्थान पर मौजूद क्यूआर (क्विक रिस्पांस) कोड की मदद से पैसे निकलवा लेते हैं। अलग-अलग स्थानों से एक या कई बार में 10 से 20 हजार रुपये की राशि की निकासी कर लेते हैं। साइबर फ्रॉड से संबंधित मामलों में मनी ट्रेल की जांच के दौरान इन बैंक खातों से राशि कैश में निकलने का प्रमाण मिलने पर इन्हें फ्रीज कर दिया जाता है।

पिछले चार-पांच महीने में राज्य में ऐसे 300 बैंक खातों को फ्रीज किया गया है। ऐसे मामलों की जांच आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के स्तर से होने पर यह हकीकत सामने आई। इसके बाद खाते फ्रीज करने की कार्रवाई की गई। ताकि इन खातों से संदिग्ध निकासी की जांच की जा सके और लोगों के पैसे बचाए जा सके। हालांकि इसमें 50 के करीब बैंक खातों को दूसरे राज्यों की साइबर सेल की टीम ने फ्रीज करवाया है। इनमें कुछ खातों को मुंबई की साइबर सेल, तो कुछ को अहमदाबाद, सूरत, दिल्ली की टीमों ने फ्रीज कराया है।इन दिनों किराना, पान या अन्य किसी तरह के दुकानदार या कोई सर्विस प्वाइंट क्यूआर कोड की मदद से लोगों को कैश निकाल कर उनके स्वयं के खाते या किसी दूसरे स्थान से मंगवा कर देते हैं। इसके बदले प्रति एक हजार 10 रुपये की दर से कमीशन लेते हैं। इसी लालच में जाने या अनजाने में ये लोग साइबर ठगों के झांसे में फंस जाते हैं। साइबर ठग इनके क्यूआर कोड का उपयोग करके अपने फर्जी या किसी दूसरे खाते से पैसे मंगवाते हैं। इसमें पूरा गिरोह काम करता है। इसके बदले वे संबंधित दुकानदारों को 10 रुपये प्रति हजार की दर से कमीशन देते हैं, कुछ तो ज्यादा पैसे मंगवाने के चक्कर में ज्यादा कमीशन भी देते हैं।

दुकानदार भी कमीशन के चक्कर में बिना किसी पहचान के इन्हें पैसे निकालकर दे देते हैं। फर्जीवाड़े से मंगवाए गए इन पैसे को ठग इन खातों को माध्यम बनाकर आसानी से निकाल लेते हैं।

साइबर फ्रॉड की जांच के दौरान जब पैसे के लेनदेन की पूरी कड़ी या ट्रेल की जांच होती है, तो अंत में इन खातों की जानकारी सामने आती है, जिससे क्यूआर के जरिए कैश की निकासी का पता चलता है। कई खातों से पैसे होते हुए अंत में इस खाते में आता है और यहां से कैश निकल जाता है। इससे इन खातों को फ्रीज किया जाता है। ताकि समुचित जांच की जा सके। संबंधित दुकानदार से पैसे देने वाले के बारे में पूछताछ की जाती है।

क्यूआर कोड से पैसे निकालकर देने के मामले में संबंधित लोगों या दुकानदारों को सावधानी रखनी चाहिए कि किसी अपरिचित को पैसे नहीं दें। पैसे देने से पहले संबंधित व्यक्ति के बारे में अच्छे से पड़ताल कर लें। उसकी कोई पहचान पत्र या वैद्य दस्तावेज भी देख लें। पैसे कहां से आए हैं, इसकी पड़ताल भी जरूरी है।

Source : Hindustan

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