दुर्भाग्य है कि मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौ’त की रोकथाम के लिए जो उपाय किये जा सकते थे, वे नही किये गए. अगर किये गए होते तो मासूमों की जान बचाई जा सकती थी. लेकिन क्या फर्क पड़ता है! मर’ने वाले बच्चें मंगल पाण्डेय या फिर नीतीश कुमार के कुछ लगते तो है नही.

 

 

किसी ने सही कहा है-गरीबों के बच्चें पैदा ही होते है ऐसे ही मर जाने के लिए

 

I just find myself happy with the simple things. Appreciating the blessings God gave me.