काफी लोग अपने लक्ष्य तक पहुंच नहीं पाते हैं और आधे रास्ते में ही हिम्मत हार जाते हैं। लक्ष्य तक कैसे पहुंचा जाए ये हम हनुमानजी से सीख सकते हैं। शुक्रवार, 19 अप्रैल को हनुमान जयंती है। श्रीरामचरित मानस के सुंदरकांड में हनुमानजी को सीता की खोज में लंका तक पहुंचना था। ये लक्ष्य बहुत मुश्किल था और उनके पास समय भी कम था। लेकिन माता अंजनी की दी हुई सीख से वे रावण की लंका तक पहुंच गए। जीवन प्रबंधन गुरु पं. विजय शंकर मेहता के अनुसार जानिए माता अंजनी और हनुमानजी का एक चर्चित प्रसंग…

एक बार हनुमानजी ने बचपन में माता अंजनी से पूछा था कि मैं बड़ा होकर क्या बनूंगा? तब अंजनी ने उनसे कहा था कि चार बातें हमेशा ध्यान रखना, तू वह बन जाएगा, जिसके लिए संसार में भेजा गया है।

पहली बात- लक्ष्य को कभी मत भूलना।

दूसरी बात- समय का सदुपयोग करना।

तीसरी बात- ऊर्जा का दुरुपयोग मत करना

चौथी बात- सेवा का कोई अवसर मत चूकना।

> इन चारों बातों को हनुमानजी ने बचपन से ही अपने जीवन में उतार लिया था। अगर आप भी किसी लक्ष्य तक पहुंचना चाहते हैं तो इन बातों को हमेशा ध्यान रखें। कभी भी लक्ष्य से न भटके।

> हनुमानजी ने बचपन में ही तय कर लिया था कि मेरा लक्ष्य श्रीराम का दूत बनकर उनकी सेवा करना है और वो बने भी। सच्चा हनुमान भक्त सच्चा सेवक भी होता है। एक-एक पल का उपयोग कीजिए। ऊर्जा का दुरुपयोग मत करिए।

> हनुमानजी के चरित्र की ये चार बातें जीवन में उतार लें, तब ही आप भी हर काम में सफलता हासिल कर सकते हैं।

हनुमान ऐसे पहुंचे लंका तक

सुंदरकांड में जामवंत से प्रेरित होकर हनुमान पूरे वेग से समुद्र लांघने के लिए चल पड़ते हैं। समुद्र के दूसरे छोर पर रावण की नगरी लंका है, जहां हनुमानजी को पहुंचना है। लक्ष्य बहुत मुश्किल था और समय भी कम था। हनुमान तेजी से आकाश में उड़ रहे थे। तभी समुद्र ने सोचा कि हनुमान बहुत लंबी यात्रा पर निकले हैं, थक गए होंगे, उसने अपने भीतर रह रहे मैनाक पर्वत से कहा कि तुम हनुमान को विश्राम दो।

मैनाक पर्वत तुरंत उठा, उसने हनुमानजी से कहा कि आप थक गए होंगे, थोड़ी देर मुझ पर विश्राम करें और मुझ पर लगे पेड़ों से स्वादिष्ट फल खा लो। हनुमानजी ने मैनाक के निमंत्रण का मान रखते हुए सिर्फ उसे छूभर लिया और कहा कि राम काज किन्हें बिना मोहि कहां विश्राम। रामजी का काम किए बगैर मैं विश्राम नहीं कर सकता। मैनाक का मान भी रह गया। हनुमान आगे चल दिए। रुके नहीं, लक्ष्य नहीं भूले।

हमें भी हनुमानजी की ये बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए। जब तक लक्ष्य न मिल जाए, तब तक विश्राम नहीं करना चाहिए।

Input : Danik Bhaskar

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