सादगी, ईमानदारी और मुस्कुराहट भरी भाव भंगिमा। मनोहर पार्रिकर की शख्सियत ही कुछ ऐसी थी जो लोगों पर अपनी अलग छाप छोड़ देती थी। कैंसर से जंग लड़ रहे पर्रिकर ने रविवार को आखिरी सांसें लीं। मनोहर पर्रिकर एडवांस्ड पैंक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे थे। पिछले साल फरवरी में बीमारी का पता चलने के बाद उन्होंने गोवा, मुंबई, दिल्ली और न्यूयॉर्क के अस्पतालों में इलाज कराया, आखिरकार 17 मार्च को कैंसर के आगे वह जिंदगी की जंग हार गए।

गंभीर बीमारी के चलते पर्रिकर की सेहत में लगातार उतार-चढ़ाव बना रहा लेकिन उन्होंने पूरी लगन के साथ अपने आखिरी दम तक जनता की सेवा की। पार्टी में मनोहर पर्रिकर के काम के प्रति जोश और जज्बे की हमेशा तारीफ होती रही। पर्रिकर ने युवाओं में जोश पैदा करने की मिसाल कायम की। हाल में ही गोवा के सदन में बजट के दौरान उन्होंने कहा था मैं जोश में भी हूं और होश में भी हूं।

मनोहर पर्रिकर शालीन, सरल, स्वभाव के नेता रहे। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के बावजूद मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर नाम में ड्रिप लगाए हुए ही ऑफिस जाते थे और नेताओं के साथ बैठक करते थे। बता दें कि मनोहर पर्रिकर की पत्नी भी कैंसर से जंग लड़ते हुए ही जिंगदी की जंग हार गई थीं। मनोहर पर्रिकर की बहादुरी, जोश और जज्बे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जनवरी में बीमारी की हालत में उन्होंने राज्य का बजट पेश किया था। इस दौरान उनकी नाक में ट्यूब डली हुई थी। बजट पेश करने के दौरान उन्होंने कहा था कि आज एक बार फिर से वादा करता हूं कि मैं अपनी अंतिम सांस तक ईमानदारी, निष्ठा और समर्पण के साथ गोवा की सेवा करूंगा। उन्होंने जिस जोश से जनता से सेवा करने का वादा किया था उसे आखिरी दम तक निभाया।

मनोहर पर्रिकर ने 14 मार्च 2017 को गोवा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इससे पहले भी वह 2000 से 2005 तक और फिर 2012 से 2014 तक गोवा के मुख्यमंत्री रहे। पर्रिकर चार बार गोवा के सीएम रहे।

Input : News24

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