पटना: राज्य सरकार ने उन शैक्षिक संस्थानों के नामांकन में भी दिव्यांग जनों को आरक्षण देने का फैसला किया है, जिसे शासन से आर्थिक मदद नहीं दी जाती है. इससे पहले आरक्षण की यह सुविधा सिर्फ सरकारी शिक्षण संस्थान में ही दी जाती थी. इसके अलावा सरकारी सेवाओं में भी दिव्यांगों का आरक्षण तीन से बढ़ा कर चार प्रतिशत कर दिया गया है. दिव्यांग जनों को केंद्र की तरह विभिन्न संस्थाओं में आरक्षण की सुविधा देने के लिए राज्य सरकार ने अपने पुराने नियमों में बदलाव किया है. सामान्य प्रशासन विभाग ने नियमों में इसके लिए संकल्प जारी किया है.
संकल्प के मुताबिक अब सरकारी नौकरियों के अलावा शैक्षणिक संस्थानों के दाखिले में भी पहले के मुकाबले ज्यादा आरक्षण मिलेगा. पहले सरकारी नौकरियों में तीन प्रतिशत आरक्षण मिलता था. अब यह चार प्रतिशत हो गया है. इसी तरह दाखिले में चार की जगह पांच प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण मिलेगा. सरकार से अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थानों को आर्थिक सहायता दी जाती है. इनमें कई महत्वपूर्ण संस्थान हैं, जहां दाखिले के लिए भीड़ लगती है. संकल्प में कहा गया है कि कोई भी सरकारी स्थापना या सरकार द्वारा नियोजन संस्थान किसी भी मामले में दिव्यांग जनों के साथ विभेद नहीं करेगा.
कार्य के दौरान दिव्यांग हुए लोगों को लाभ
नए प्रावधान के मुताबिक अगर कोई कर्मचारी नौकरी काल के दौरान दिव्यांग हो जाता तो उसके रैंक, वेतन एवं अन्य सरकारी सुविधाओं में कोई कटौती नहीं होगी. अगर वह व्यक्ति दिव्यांगता के चलते अपने पुराने पद पर काम करने के योग्य नहीं रह जाता है तो उसे पुराना वेतन एवं अन्य सुविधाओं के साथ किसी अन्य पद पर स्थानांतरित किया जाएगा. अगर वह कर्मचारी किसी पद पर काम करने लायक नहीं रह जाता है, तब भी उसकी नौकरी कायम रहेगी.
मानसिक दिव्यांगता
आरक्षण का लाभ मानसिक रूप से दिव्यांग लोगों को भी मिलेगा. इस श्रेणी में उन्हें रखा जाएगा, जिनमें तर्क और समस्या के समाधान करने की क्षमता न हो. दिव्यांगता निर्धारण के लिए मेडिकल बोर्ड के गठन का प्रावधान किया गया है. प्रतियोगिता पर आधारित नियुक्ति प्रक्रिया में दिव्यांगों को आयु सीमा में 10 वर्ष की छूट दी जाएगी.
Source : Hindustan