बिहार में कानून-व्यवस्था को लेकर एक तरफ जहां विपक्ष सरकार की घेराबंदी करता रहा है, वहीं बिहार पुलिस मुख्यालय ने एनसीआरबी के आंकड़ों के आधार पर बड़ा दावा किया है. बिहार पुलिस मुख्यालय ने राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो यानी एनसीआरबी द्वारा साल 2020 के प्रदर्शित आंकड़ों के आधार पर बिहार में सभी प्रमुख अपराधों में लगातार गिरावट होने का दावा किया है. बिहार पुलिस मुख्यालय की मानें तो 2020 के जारी आंकड़ों में राष्ट्रीय अपराध दर 487.8 की तुलना में बिहार का अपराध दर 211.3 रही है. सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अपराध की तुलना में बिहार का 25 वां स्थान है. बिहार पुलिस मुख्यालय के अनुसार अपराध जैसे हत्या के मामलों में राष्ट्रीय स्तर पर बिहार का स्थान आठवां है. हत्या के केस में बिहार का वर्ष 2019 से 2021 में अन्य कई राज्यों से बेहतर स्थान है. साल 2019 में हत्या के कुल कांड नवंबर महीने तक 2910 थे जबकि इस साल 2021 में नवंबर महीने तक मात्र 2607 कांड दर्ज हुए हैं.

पुलिस मुख्यालय के अनुसार अपराध दर क्रमश 2.6 और 2.3 है ।इस प्रकार हत्या के अपराध में गिरावट है. पुलिस मुख्यालय की मानें तो डकैती के मामले में 2020 में राष्ट्रीय अपराध दर 0.2 है, जबकि 0.2 अपराध दर के साथ बिहार राष्ट्रीय स्तर पर 11वें स्थान पर है. बिहार में साल 2019 में माह नवंबर तक डकैती के कुल 353 केस दर्ज हुए थे, वहीं साल 2021 के माह नवंबर तक 239 कांड ही दर्ज हुए हैं. इस तरह डकैती के अपराध में गिरावट साफ तौर पर देखी गई है.

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लूट के अपराध में साल 2019 ने कुल 23 99 कार्ड प्रदर्शित हुए हैं, जबकि साल 2020 के नवंबर तक कुल 1694 कांड दर्ज हुए हैं. इस तरह राष्ट्रीय औसत अपराध 1.8 की तुलना में 1. 8 अपराध के साथ बिहार का 13वां स्थान है. यह साबित करता है कि बिहार राज्य में लूट के अपराध में गिरावट देखी गई है. फिरौती के लिए अपहरण के मामले में साल 2019 में नवंबर तक 42 कांड सामने आए थे, जबकि वर्ष 2021 के माह नवंबर तक कुल 34 कांड सामने आए हैं. इस तरह राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के साल 2020 के आंकड़ों के आधार पर बिहार राष्ट्रीय स्तर पर 26 राज्यों के साथ संयुक्त रूप से 12 में स्थान पर है.

महिलाओं के विरुद्ध अपराध के मामले में राष्ट्रीय औसत अपराध दर 56.5 की तुलना में 2020 में 26.3 अपराध दर के साथ बिहार 29वें स्थान पर है. पुलिस मुख्यालय ने बैंक डकैती के मामले में आंकड़ा जारी करते हुए 2005 में 26 कांडों की चर्चा की है. जबकि उसका दावा है कि 2020 में 12 कांड बैंक डकैती के सामने आए हैं और इस चीज में 53.5% की कमी का दावा किया गया है.

रेप के मामले में 2019 के नवंबर तक कुल 1375 मामले का हवाला दिया गया है, जबकि साल 2021 के नवंबर महीने में इस अपराध की श्रेणी में प्कांडों की संख्या 1338 मात्र बताई गई है. इस तरह रेप के मामले में भी गिरावट का दावा बिहार पुलिस मुख्यालय द्वारा किया गया है. रेप में राष्ट्रीय औसत दर 4.3 की तुलना में बिहार का अपराध 1.4 बताते हुए कहा गया है कि 2020 में बिहार का रेप के मामले में 31वां स्थान है. इस साल 20-21 में यह दर 1.2 होने का दावा किया गया है.

अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार अधिनियम के मामले में राष्ट्रीय औसत 25.0 रहा है, जबकि बिहार पुलिस मुख्यालय की मानें तो 2020 में 44.5 अपराध के साथ बिहार का तीसरा स्थान है. दंगा के मामले में बिहार को कई राज्यों से बेहतर बताया गया है. साल 2019 से 2021 तक अपराध क्रमांक 6.0 7.7 और 5.14 हैसाल 2019 में दंगा में नवंबर महीने तक 6797 कांड दर्ज कियागया है, जबकि 2021 के नवंबर में 5801 कांड दर्ज हुए हैं.

उधर इस मामले पर सियासत भी शुरू हो गई है. एक तरफ जहां राजद एमएलसी रामबली चंद्रवंशी ने इन आंकड़ों को लेकर सत्ता पक्ष को बहुत खुश नहीं होने की नसीहत दी, वहीं, सत्ता पक्ष इसे सरकार की उपलब्धि बताने में जुटा है. एमएलसी खालिद अनवर की मानें तो क्राइम कंट्रोल नीतीश कुमार के सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है. जबकि भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद की मानें तो यह गुड गवर्नेंस का ही परिणाम है.

Source : News18

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