बेनीबाद के बलहा में दो बच्चों की हत्या व पिता की खुदकुशी की घटना का सुसाइड नोट व वीडियो वायरल हो रहा है। मरने से पहले दीपक राय ने घटना के लिए पत्नी व ससुराल पक्ष के लोगों को जिम्मेवार बताया है। तात्कालिक कारण दीपक के ससुराल में सोमवार को स्थानीय पुलिस की मौजूदगी में हुई पंचायत को बताया जा रहा है जिसमें फरमान सुनाया गया था कि बच्चों की कस्टडी मायके में रह रही पत्नी को दी जाएगी। मंगलवार को पुलिस के साथ ससुराल वाले बच्चों को लेने आने वाले थे। इस फैसले से आहत दीपक ने अपने बच्चों के साथ खुद को खत्म कर लिया।

बताया गया कि ससुराल से लौटने के बाद दीपक रात में अपने बच्चों को लेकर कमरे में बंद हो गया। घर के दूसरे कमरों में उसकी मां व भाभी सो रही थी। रात में बच्चों की हत्या के बाद उसने फांसी लगाली। घटना को लेकर परिवार के लोग ससुराल में हुई पंचायत में दीपक को जलील करने व उससे जबरन बांड बनवाकर बच्चों को छीनने की कोशिश के कारण घटना होने का आरोप लगाया है। उसकी मां व दूसरे रिश्तेदारों ने पुलिस को मौखिल बयान दिया है। इसमें कई आरोप लगाए गए हैं।

इधर, कमतौल थानाध्यक्ष सरवर आलम ने बताया कि पारिवारिक विवाद की सूचना मिलने पर हरिहरपुर गांव में दारोगा मंजीत सिंह को भेजा गया था। उन्होंने दोनों परिवारों के लोगों को समझा-बुझाकर मामला सुलझा लेने की बात कही थी। बांड बनवाने की जानकारी उनको नहीं है।

वीडियो वायरल

तनाव बढ़ने से मनुष्य अवसाद में जा रहा

आज समाज व परिवार का नियंत्रण लोगों पर नहीं है। आदमी तनाव में है, लेकिन तनाव को वह बता नहीं पा रहा है। परिवार भी लोगों को सपोर्ट नहीं कर रहा है। इससे भी तनाव बढ़ रहा है। तनाव बढ़ने से मनुष्य अवसाद में जा रहा है। लोगों की आकांक्षाएं भी बढ़ गई हैं। संतोष कम हुआ है। परिवार की जो भूमिका होनी चाहिए थी, वह अब नहीं है। लोग मोबाइल में ही व्यस्त रहते हैं। -प्रो. रंजना सिन्हा, अध्यक्ष, समाज शास्त्रत्त् विभाग, बिहार विवि

समाज व परिवार को नहीं मिल रहा सहारा

परिवार का सपोर्ट खत्म हो गया है। संयुक्त परिवार टूटने से तनाव को खत्म करने के उपाय अब नहीं हैं। इसलिए लोग अवसाद में जा रहे हैं। समाज का सपोर्ट भी व्यक्ति को नहीं मिल रहा है। इसलिए मानसिक अवसाद बढ़ रहे हैं। एकल परिवार में मानसिक दवाब को खत्म करने का कोई उपाय नहीं है। लोग तनाव होने पर निराश हो रहे हैं। अति निराशा होने पर ही कोई मौत को गले लगाता है। पारिवारिक संरचना भी खत्म हो रही है। -डॉ. संजय कुमार, मनोचिकित्सक

सुसाइड नोट

क्योंकि मरा आदमी दलील नहीं देता…

सुसाइड नोट में दीपक ने लिखा है कि ‘हमको इस समय जितना समक्ष आया लिख दिए हैं, क्योंकि मरा हुआ आदमी दलील नहीं देता। उसने आठ पन्नों का सुसाइड नोट लिखा है। इसमें ससुराल वालों को मौत के लिए जिम्मेवार बताया है। पत्नी को मानसिक रूप से बीमार भी बताया है। ससुर, सास, पत्नी की बहन, उसकी बेटी, चाचा, प्रेमी को सजा दिलाने की मांग की है।

पीजी पास, कुछ दिनों से था बेरोजगार

बताया गया है कि दीपक राय मिथिला विश्वविद्यालय से पीजी किया था। पूर्व में एक निजी कंपनी में काम भी किया था। लेकिन इधर कुछ महीनों से घर पर बेरोजगार बैठा हुआ था। पत्नी के मायके चले जाने के बाद दोनों बच्चे पिता के साथ ही रह रहे थे। घटना की सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने तीनों शव का पोस्टमार्टम करवा कर परिजनो को सौंप दिया।

JAWA-MUZAFFARPUR BIHAR

अंतिम वीडियो में मां व भाई से मांगी माफी

सुसाइड से पहले दीपक ने वीडियो बनाया। इसमें उसने मां व भाई से माफी मांगी। इसके अलावा सुसाइड नोट में उसने राशन वाले, सब्जी वाले अन्य ग्रामीणों के बकाया का जिक्र किया है व बड़े भाई से सभी को चुकता कर देने की गुहार लगायी है। दो तीन वीडियो भी बनाया है जिसमे वह मां व बड़े भाई को कोई सुख नहीं देने पर अफसोश व माफ कर देने की बात कह रहा है।

घबराएं नहीं बल्कि इन उपायों पर दें ध्यान

● किसी भी तरह की समस्या आए तो उसे साझा करें।

● परिवार में आपस में बात करने से कई समस्या का समाधान हो जाता है।

● आर्थिक रूप से कमजोर हैं तो कई रोजगार है, जिसे आप कर सकते हैं। कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता।

● अपने दिल और दिमाग पर डिप्रेशन को हावी नहीं होने दें।

● डिप्रेशन हो तो मनोचिकित्सक से जरूर मिलें।

● परिवार या रिश्तेदार से मिलते-जुलते रहें।

● रिश्तेदार में जिसके नजदीक हो, उससे अपनी बातें साझा करें।

धैर्य और हिम्मत की कमी से जिंदगी हार रहे लोग

पटना। हर समस्या का समाधान है, लेकिन कई लोग समस्या का समाधान करने की अपेक्षा समस्या को बड़ा बना लेते हैं। उन्हें लगता है कि इस समस्या का कोई समाधान नहीं है। इसका असर उनके दिल और दिमाग दोनों पर होने लगता है। इससे उनके अंदर ही अंदर धैर्य और हिम्मत की कमी होने लगती है। इस बीच परिवारिक सहयोग नहीं मिलने से सामूहिक आत्महत्या जैसी घटना को अंजाम दिया जाता है। क्लीनिकल मनोवैज्ञानिक समिधा तिवारी ने बताया कि लोगों में अब धैर्य और हिम्मत की कमी होती जा रही है।

सुसाइड नोट में लिखा उलझे रिंश्तों का किस्सा

बेनीबाद के बलहा की घटना के बाद मिले सुसाइड नोट रिश्तों की दरकती कड़ियां बयां कर रही हैं। इसमें कौन दोषी है और कौन निर्दोष यह बताना मुश्किल हो रहा है। इस प्रकार की उलझने क्यों पैदा की गई। किस हालता में यह परिस्थितियां बनी। पुलिस भी सुसाइड नोट में लिखे रिश्तों की कड़ियों को जोड़ने में जुट गयी है। एक ओर दीपक और बबिता के रिश्तों को जोड़ने के लिए दो-दो बार बॉन्ड भी बने। लेकिन, इससे दोनों के उलझन भरी रिश्तों को बचा नहीं सकी। जिंदगी से जाते-जाते दीपक बड़े भाई से आग्रह भी कर गया कि वह बबिता और अन्य को सजा जरूर दिलवाये। वहीं, बड़े भाई और अपनी मां के लिए कुछ नहीं कर सका।

Source : Hindustan

(मुजफ्फरपुर नाउ के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

krishna-motors-muzaffarpur

Muzaffarpur Now – Bihar’s foremost media network, owned by Muzaffarpur Now Brandcom (OPC) PVT LTD

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *