आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति अपना भाग्य विधाता स्वंय होता है। कभी-कभी छोटी-छोटी गलतियां हमें जीवन में बहुत दुख पहुंचा देती है, इसलिए हमें ऐसी छोटी-छोटी चीजों को शुरुआत में ही बड़ी मानकर चलना चाहिए, जिससे कि हम भविष्य में कई परेशानियों से बच सकें। चाणक्य जीवन को सरल और खुशहाल बनाने के लिए 4 लोगों से दूर रहने की सलाह देते हैं-

बुरी आदतों वाले लोगों से बनाएं दूरी 
चाणक्य ने इन्हें सांप से भी खतरनाक बताया है। इन्होंने कहा है कि सांप तो काल के वश होता है जब व्यक्ति की मृत्यु आती है तभी वह व्यक्ति को काटता है लेकिन दुर्जन व्यक्ति का कोई भरोसा नहीं यह तो कभी भी कहीं भी आपको धोखा दे सकता है और आपकी जान ले सकता है। इसलिए अच्छे और संस्कारी लोगों से ही मित्रता करनी चाहिए।

मूर्ख मित्र की संगति को दूर से करें नमस्कार 
मूर्ख व्यक्ति को आचार्य चाणक्य ने दैत्य के समान बताया है। इनका कहना है कि मनुष्य होकर भी जिनमें बुद्धि और विवेक नहीं है वह दैत्य के समान है इसलिए इनकी संगत नहीं करनी चाहिए। ऐसे लोगों की संगत करने वाला हमेशा संकट में रहता है इसलिए कहा गया है कि बुद्धिमान शत्रु अच्छा लेकिन मूर्ख मित्र नहीं।

लालची लोगों से दूरी ही भली 
अपने से कमजोर और लोभी व्यक्ति से मित्रता कभी नहीं करना चाहिए। लोभी व्यक्ति अपने लाभ के लिए आपको कभी भी छोड़ सकता है और आपके विरोधी से मिलकर आपको नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए जो संतुष्ट हो उसी को साथ रखना चाहिए, लेकिन किसी पर आंख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए।

अंहकारी से मित्रता रखने से होता है विनाश 
जिस व्यक्ति में अहंकार भरा हो और अपने को सबसे ज्ञानी मान बैठा हो उसका साथ कभी नहीं करना चाहिए। ऐसे लोग बिल्ली के समान होते हैं जिन पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता है। यह अपने को बड़ा दिखाने के लिए आपकी छवि खराब कर सकते हैं और आपका अपमान भी कर सकते हैं।

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