कोरोना के खिलाफ सबसे कारगार हथियार माने जा रहे वैक्सीन को हासिल करने और लोगों तक इसे पहुंचाने की तैयारी सरकार ने तेज कर दी है। सरकार ने वैक्सीन की पहचान, खरीद, वितरण और टीकाकरण के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया है, जिसमें सभी संबंधित मंत्रालयों और संस्थाओं के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है। यह कदम सरकार ने ऐसे समय पर उठाया है जब कुछ 6 वैक्सीन या तो फेज तीन में पहुंच चुके हैं या फेज 2-3 के संयुक्त ट्रायल से गुजर रहे हैं। दुनियाभर के देशों में वैक्सीन निर्मताओं से डील को लेकर होड़ मची हुई है।

इस मामले से जुड़े लोगों ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि पैनल की अगुवाई नीति आयोग के डॉ. वीके पॉल करेंगे तो सह-अध्यक्ष के रूप में स्वास्थ्य सचिव राजीव भूषण उनका साथ देंगे। यह कमिटी भारत के लिए एक या एक से अधिक वैक्सीन की पहचान करेगी, खरीद के लिए प्लान तैयार करेगी, जिसका बिल निश्चत तौर पर अरबों डॉलर में होगा, और टीकाकरण के लिए प्राथमिकता तय करेगी।

वैक्सीन की गैर-मौजूदगी में कोविड-19 के प्रसार को कम करने का एकमात्र रास्ता मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंशिंग और आम गतिविधियों पर प्रतिबंध हैं। जिससे काम और सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। शुक्रवार रात तक कोरोना वायरस संक्रमण से दुनियाभर में 1 करोड़ 93 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं तो 7 लाख 20 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में भी 20 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं तो करीब 42 हजार से ज्यादा लोग दम तोड़ चुके हैं।

सबसे हिन्दुस्तान टाइम्स ने ही 27 जुलाई को यह रिपोर्ट दी थी कि भारतीय अधिकारी वैक्सीन, खरीद से प्राथमिकता तय करने पर विचार कर रहे हैं। कैबिनेट सचिव की ओर से शुक्रवार को गठित उच्चस्तरीय पैनल में एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया, विदेश मंत्रालय, बायोटेक्नॉलजी, इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलजी के प्रतिनिधि, हेल्थ सर्विसेज के डायरेक्टर जनरल, भारतीय एड्स रिसर्च इंस्टीट्यूट, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और राज्यों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं।

पैनल के काम की शुरुआत वैक्सीन की पहचान से होगी। अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश वैक्सीन डिवेलपमेंट में आगे चल रहे देशों से डील कर रहे हैं। इसके बाद यह फैसला लिया जाएगा कि वैक्सीन की खरीद किस तरह की जाए। विदेशी एजेंसियों को शामिल किया जाए या राज्यों को खरीद की छूट दी जाए या केंद्र सरकार की इसकी खरीद करे।

इस मामले से जुड़े एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि पैनल वैक्सीन अलायंस GAVI और विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ समन्वय करेगा। भारत को GAVI के कोवाक्स प्रोग्राम का लाभ मिलने वाला है और एजेंसी के जरिए 20 फीसदी आबादी के लिए जरूरी टीके दिए जाएंगे। यह समूह खरीद, वितरण और टीकाकरण के लिए फाइनेंशल प्लान और बजट भी तैयार करेगा। अंत में पैनल इनवेंटरी मैनेजमेंट, वितरण और टीकाकरण के लिए रणनीति तैयार करेगा। इनमें से कई मुद्दों पर पिछले महीने चर्चा हो चुकी है।

अधिकारी कम से कम 9 वैक्सीन के विकास पर करीब से नजर बनाए हुए हैं, जिनमें दो चाइनीज भी हैं। उम्मीद की जा रही है कि भारत में अदर पूनावाला की अगुआई में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के द्वारा बनाई जा रही ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनका वैक्सीन काम करेगी।

सरकारी अधिकीर ने कहा, ”आंतरिक चर्चा शुरू हो गई है ताकि हम पूरी तरह तैयार रहें और अंतिम समय में कोई गड़बड़ी ना हो। अहम मुद्दों में एक है, नॉर्थ ईस्ट जैसे दूरदराज इलाकों में इसका वितरण और कैसे हमें इन इलाकों में बड़े स्तर के कोल्ड स्टोरेज बनाने हैं।” हालांकि, यह दूसरे नंबर की समस्या है, पहले भारत को वैक्सीन की पहचान करनी और भी इन्हें खरीदना है। कोलकाता मेडिकल कॉलेज के डॉ. संजय कहते हैं, ”यह अच्छा है कि केंद्र सरकार ने अडवांस में इस तरह की कमिटी बना ली है, ताकि भारत जैसे देश में लॉजिस्टिक से संबंधित दिक्कते ना हों।”

Input : Live Hindustan

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