उत्तर बिहार में 1873-74 में अकाल के समय लोगों को भुखमरी से बचाने के लिए तत्कालीन दरभंगा महाराज ने रेलवे लाइन बिछवाई थी। आजादी से पहले देश में अकाल से महामारी फैलती थी। देशी राजे-रजवाड़े अकाल के समय लोगों को भुखमरी से बचाने के लिए निर्माण योजनाओं के माध्यम से रोजगार पैदा करते थे। 1873-74 में बिहार-बंगाल में अकाल पड़ा तो लाखों लोगों की मौत हुई थी। उत्तर बिहार में यातायात संपर्क का अभाव था। लोगों तक अनाज और राहत सामग्री पहुंचाना मुश्किल था। उस समय दरभंगा महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह ने रोजगार सृजन की योजना बनाई और उसी के तहत बरौनी से दरभंगा तक रेलवे लाइन बिछाई गई थी। महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह कल्याणी फाउंडेशन के ओएसडी श्रुतिकर झा बताते हैं कि यातायात संपर्क नहीं होने से दरभंगा तक अनाज की खेप नहीं पहुंच पा रही थी। कहीं राहत के अनाज की चोरी तो कहीं से अवैध भंडारण की शिकायतें आ रही थीं। हालात से महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह बहुत आहत हुए। उन्होंने तिरहुत स्टेट रेलवे कंपनी की स्थापना की और युद्धस्तर पर रेलवे लाइन का निर्माण शुरू कराया। श्रुतिकर झा बताते हैं, व्यापक पैमाने पर मजदूरों को काम में लगाया गया, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि महज 56 दिनों के रिकॉर्ड समय में दरभंगा तक रेलवे लाइन बिछ गई थी।

तिरहुत रेल के सलून के बाहर का दृश्य

पर्यावरण और इतिहास के शोधकर्ता रामशरण अग्रवाल बताते हैं कि आजादी से पहले प्राय: भयानक सूखे की वजह से अकाल पड़ता था। मनुष्य भोजन के अभाव में भूखे मरते थे और पशुओं को पीने के लिए पानी नहीं मिलता था। संकट के समय जल संग्रह से मनुष्य व अन्य जंतुओं की प्यास बुझाने के लिए दरभंगा महाराज ने तालाबों का जाल बिछाया और नहर की खुदाई कराई गई। इतिहासवेत्ता डॉ. शिव कुमार मिश्र बताते हैं कि बारिश और बाढ़ के पानी को घेरकर रखने के लिए दरभंगा महाराज ने बड़े पैमाने पर तालाबों का निर्माण कराया। मनुष्य और जीव-जंतुओं के लिए पेयजल की व्यवस्था को धर्म से भी जोड़ते हुए कहा गया कि तालाब की खुदाई कराने से पुण्य होता है।

दरभंगा रेलवे स्टेशन का एक दृश्य

बाजितपुर से दरभंगा तक लाइन : बरौनी के समयाधार बाजितपुर से दरभंगा तक रेल लाइन बिछाई गई। तिरहुत स्टेट रेलवे कंपनी ने तीन स्टेशनों का भी निर्माण कराया। आम लोगों के लिए दरभंगा स्टेशन तथा अंग्रेज अधिकारियों के लिए लहेरियासराय स्टेशन बनाया गया। दरभंगा महाराज के लिए नरगौना में निजी टर्मिनल स्टेशन का निर्माण किया गया। वहां महाराजा की सैलून रुकती थी।

बरौनी रेलवे स्टेशन पर पैलेस ऑन व्हील

राजा शिव सिंह का रजोखर पोखर : डॉ. मिश्र बताते हैं कि राजा शिव सिंह ने भी दरभंगा के जाले क्षेत्र की रतनपुर पंचायत में विशाल रजोखर पोखरा ( तालाब) तथा सकरी के पास तरौनी में बड़े पोखरा की खुदाई कराई थी। मिथिलांचल में एक लोकोक्ति प्रचलित है- पोखर रजोखर, और सब पोखरा राजा शिव सिंह और सब छोकड़ा

महाराज के सैलून में आए थे बापू : दरभंगा महाराज की ट्रेन व सैलून से कई बार महात्मा गांधी भी दरभंगा आए थे। बाद में भारतीय रेलवे ने दरभंगा महाराज के तिरहुत स्टेट रेलवे का अधिग्रहण कर लिया।

Input : Hindustan

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