BIHAR
लोकसभा चुनाव 2019: तेजस्वी के चलते फंसती दिख रही कन्हैया की गाड़ी
भाकपा की बिहार शाखा ने कन्हैया कुमार को बेगूसराय से प्रत्याशी घोषित कर दिया है, लेकिन महागठबंधन में अभी तक सीटों के बंटवारे पर फैसला नहीं हो सका है। लालू प्रसाद यादव भाकपा से बिहार में तालमेल के पक्ष में नहीं हैं। माले के प्रति उनका नरम रुख है, लेकिन भाकपा-माकपा से गठबंधन के पक्ष […]
भाकपा की बिहार शाखा ने कन्हैया कुमार को बेगूसराय से प्रत्याशी घोषित कर दिया है, लेकिन महागठबंधन में अभी तक सीटों के बंटवारे पर फैसला नहीं हो सका है। लालू प्रसाद यादव भाकपा से बिहार में तालमेल के पक्ष में नहीं हैं। माले के प्रति उनका नरम रुख है, लेकिन भाकपा-माकपा से गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं। बेगूसराय के लिए राजद की ओर से तनवीर हसन को संकेत कर दिया गया है। बिहार की सियासत में इसके अलग मायने निकाले जा रहे हैं। कन्हैया की तुलना तेजस्वी से भी की जा रही है।
खुलने लगे हैं दलों और दिलों के फासले के पर्दे
सीटों के मसले पर महागठबंधन के घटक दलों के झंझट की बातें जैसे-जैसे बाहर आ रही हैं, वैसे-वैसे दलों और दिलों के फासले के पर्दे भी खुलते जा रहे हैं। आपस में रस्साकशी की तीन बड़ी वजहें हैं। हैसियत से ज्यादा सीटों की आकांक्षा, दूसरे की फसल काटने की मशक्कत और पारिवारिक विरासत की हिफाजत। पहली और दूसरी वजहों की सियासी अहमियत और जरूरत हो सकती है, लेकिन तीसरी वजह के केंद्र में बिहार में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के उभरते नेता कन्हैया कुमार हैं, जो लालू प्रसाद के राजनीतिक उत्तराधिकारी की सियासत के लिए सटीक और संगत नहीं दिख रहे हैं। बिहार की सियासत की नई पीढ़ी में प्रमुख रूप से तीन नाम शीर्ष पर हैं। लालू परिवार और राजद के भविष्य तेजस्वी यादव, वामदलों की उम्मीद कन्हैया कुमार और रामविलास पासवान के कुल दीपक चिराग पासवान। तीनों की अलग-अलग पहचान और आधार है।
कन्हैया से कई खेमे परेशान
कन्हैया के तेज-तर्रार तेवर, धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रीय प्रसिद्धि और कुशल संवाद शैली से सिर्फ भाजपा को ही परेशानी नहीं है, बल्कि उन्हें भी है, जो प्रत्यक्ष तौर पर अब तक उनके खेमे में खड़े दिखते हैं। तेजस्वी और कन्हैया की उम्र लगभग बराबर है। दोनों लगभग एक साथ राजनीति में सक्रिय हुए हैं। दोनों की राजनीति भी भाजपा के प्रबल विरोध और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना पर टिकी है। दोनों का मकसद भले एक हो सकता है, किंतु दोनों के बीच दीवार भी दिख रही है, जिसे खत्म करने की कोशिश कभी नहीं की गई। राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति करने के लिए कन्हैया को बिहार में जिस जमीन की तलाश है, उस पर लालू यादव ने दावा ठोक रखा है। अपने गृह क्षेत्र बेगूसराय में सक्रिय होकर प्रचार अभियान में जुट चुके कन्हैया के लिए लालू सीट छोडऩे के पक्ष में नहीं हैं। बहाना है कि बिहार में भाकपा-माकपा का आधार नहीं है।
लालू के तर्क में कितना दम?
लालू के तर्क में कितना दम है, यह भविष्य तय करेगा, लेकिन अतीत बता रहा है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाकपा को बेगूसराय में एक लाख 92 हजार वोट मिले थे और उसके प्रत्याशी राजेंद्र प्रसाद सिंह तीसरे नंबर पर थे। वैसे भी इस क्षेत्र को बिहार में मिनी मास्को के नाम से जाना जाता है। शायद इसलिए कि भाकपा का यहां प्रारंभ से ही दबदबा रहा है। पिछली बार करीब दो लाख वोट लाने वाले भाकपा को राजद की ओर से निराधार बताने के संकेत को समझा जा सकता है।
दोनों की अदावत नई नहीं है
गांधी मैदान में पिछले 25 अक्टूबर को सीपीआई की रैली से तेजस्वी ने दूरी बनाकर कन्हैया के साथ प्रतिद्वंद्विता का संकेत छोड़ दिया था। कन्हैया की कोशिशों से पटना में आयोजित जिस एकता रैली में कांग्रेस के कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद समेत कई दिग्गज आए थे, वहीं तेजस्वी पटना में रहते हुए भी जाना मुनासिब नहीं समझा था। कोरम पूरा करने के लिए राजद की ओर से प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे और बेगूसराय के संभावित प्रत्याशी तनवीर हसन को भेज दिया गया था। संदर्भ आया तो अतीत के पन्ने पलटे जा रहे हैं। तेजस्वी ने कन्हैया की उस वक्त भी खोज-खबर नहीं ली थी, जब पटना में एम्स के डॉक्टरों के साथ विवाद हुआ था। बेगूसराय में मारपीट की घटना पर भी राजद नेता मौन ही रहे थे।
Input : Dainik Jagran
BIHAR
‘नीतीश की हालत अंधों में काना राजा वाली’ प्रशांत किशोर ने सीएम नीतीश पर साधा निशाना

सीएम नीतीश नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए प्रशांत किशोर ने कहा है कि नीतीश कुमार को एकमात्र पढ़े लिखे होने का भ्रम है। ‘नीतीश की हालत अंधों में काना राजा वाली’ है।
प्रशांत किशोर ने कहा है कि बिहार देश का सबसे फिसड्डी राज्य है लेकिन नीतीश बाकी प्रदेशों के मुख्यमंत्री से ऐसे मुलकात कर रहे हैं जैसे उन्होंने बिहार को अमेरिका बना दिया हो।
राजनीतिक रणनीतिकार पीके ने आगे कहा कि नीतीश को भ्रम हो गया है कि वो बहुत बड़े विद्वान है, सबकुछ जानते है। लेकिन उन्होंने अपने आसपास ऐसे लोगों को बैठाया है जिन्हें कुछ आता ही नहीं है। अभी बिहार में ऐसे ऐसे नेता है जिन्हें अपना नाम तक लिखने नहीं आता है। वहीं नीतीश कुमार को अपना नाम लिखने आता है तो उन्हें लगता है कि उन्हें सबकुछ आता है। लेकिन सच यहीं है कि वो अंधों में काना राजा हैं।
MUZAFFARPUR
बीपी इंद्रप्रस्थ इंटरनेशनल स्कूल में समर कैंप का समापन, विधायक अमर पासवान रहे मौजूद

बीपी इंद्रप्रस्थ इंटरनेशनल स्कूल में 29 तारीख से चल रहा समर कैंप आज समाप्त हो गया। समारोह के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोचहा विधायक अमर पासवान उपस्थित थे। विद्यालय के निदेशक सुमन कुमार समेत शिक्षक गण और तमाम समर कैंप के सभी बच्चों ने बहुत ही उत्साह पूर्वक सबसे अमर पासवान का अभिवादन किया। विद्यालय की सबसे छोटी सदस्या प्ले क्लास की निकी ने बुके भेंट कर उनका स्वागत किया।
इस मौके पर म्यूजिक टीम पंकज डे और गुरजीत के साथ विद्यालय के बच्चों ने ,”अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम” भजन के साथ माहौल को भावविभोर कर दिया। जिसके बाद विधायक अमर पासवान ने अपने हाथों समर कैंप के सभी बच्चों को सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया। साथ ही समर कैंप को सफल करने के पीछे उन से जुड़े विद्यालय के क्रिएटिव टीम के सदस्य पंकज डे, गुरजीत ,धीरज कुमार गुप्ता ,निलेश कुमार ,अंकिता राज ,सोनी विद्यालय की पीआरओ भावना नंदा आदि को भी मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया।
इस दौरान विद्यालय के निदेशक सुमन कुमार ने मुख्य अतिथि अमर पासवान को मोमेंटो देकर सम्मानित किया । विद्यालय के मंच पर विधायक अमर पासवान ने विद्यालय के सभी व्यवस्थापक शिक्षक और विद्यार्थियों की सराहना की। उन्होंने कहा कोई शक नहीं यह विद्यालय मुजफ्फरपुर के सर्वोच्च विद्यालयों में से एक हैं। जहां बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है, मुझे बहुत खुशी है विद्यालय में मुझे आमंत्रित किया गया और अपने इस समारोह का अभिन्न अंग बनाया।
इसके बाद समर कैंप समापन समारोह के अंतिम चरण में गुब्बारों के गुच्छों के द्वारा निदेशक सुमन और विधायक अमर कुमार पासवान ने समर कैंप की यादों को हवा में फैलाने के लिए उड़ा दिया। विधायक अमर पासवान ने सभी बच्चों से उनके समर कैंप के अनुभवों के बारे में पूछा तो बच्चों ने बहुत उत्साह के साथ अपने सभी कार्यक्रमों का जिक्र किया।
MUZAFFARPUR
मुजफ्फरपुर : दामाद की हत्या में सास को आजीवन कारावास की सजा

दामाद की हत्या में दोषी पाई गई सास को एडीजे-13 प्रशांत कुमार झा ने शनिवार को सजा सुनाई। मनियारी थाना के छितरौली निवासी सास अनारकली को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए पांच हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। घटना आठ साल पूर्व की है।
मृतक छुन्नु कुमार सहनी वैशाली जिले के बेलसर ओपी क्षेत्र के नगवां गांव का रहने वाला था। उसकी मां शारदा देवी ने मनियारी थाने में एफआईआर कराई थी। इसमें छितरौली निवासी मृतक की पत्नी माला कुमारी, सास अनारकली देवी, साला राकेश कुमार, सरहज भागीरथी देवी, साढ़ू अमीर सहनी को आरोपित किया था। शारदा ने पुलिस को बताया था कि उनके पुत्र की शादी 2015 में दो जून को माला से हुई थी। शादी के बाद से बेटे और बहू में विवाद चल रहा था। उनकी बहू ससुराल नहीं आना चाहती थी। शारदा ने बेटे छुन्नु को मायके से पत्नी को बुलाकर लाने को कहा। इसके बाद उसने कहा कि उसकी पत्नी का नाजायज संबंध बहनोई से है। 2015 में 15 नवंबर को उनका बेटा ससुराल गया। 20 नवंबर को सभी आरोपित ने उसके बेटे की हत्या कर दी।
Source : Hindustan
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