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भारत में 69.1 मिलियन से अधिक डायबिटीज के पंजीकृत मामले हैं।
आज हम सभी के जीवन में महत्वाकांक्षाएँ अनंत हैं। अपने करियर में बेहतरीन प्रदर्शन करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता बन चुकी है और हम अधिक काम करने, अधिक सीखने और अधिक हासिल करने के लिए लगातार एक साथ कई सारे काम कर रहे हैं। अपनी महत्वाकांक्षाएँ पूरी करने की कोशिश में, क्या हम इसके लिए कोई कीमत चुका […]
आज हम सभी के जीवन में महत्वाकांक्षाएँ अनंत हैं। अपने करियर में बेहतरीन प्रदर्शन करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता बन चुकी है और हम अधिक काम करने, अधिक सीखने और अधिक हासिल करने के लिए लगातार एक साथ कई सारे काम कर रहे हैं। अपनी महत्वाकांक्षाएँ पूरी करने की कोशिश में, क्या हम इसके लिए कोई कीमत चुका रहे हैं? क्या हम अपने स्वास्थ्य से समझौता कर रहे हैं?
हम दिन-ब-दिन अपने शरीर और मस्तिष्क पर लगातार जुल्म कर रहे हैं। हम न केवल अपने लिए स्वास्थ्य संबंधी खतरे मोल ले रहे हैं, बल्कि अपने परिवार के भविष्य और अपने ऊपर उनकी निर्भरता को भी दाँव पर लगा रहे हैं। हम यह सब कुछ बिना यह महसूस किये कर रहे हैं कि अपने अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित मान कर चलने से हम जिस लक्ष्य को हासिल करने के लिए इतनी कड़ी मेहनत कर रहे हैं, उसे हासिल करना वास्तव में कठिन हो सकता है।
सफलता हासिल करने की इस भागमभाग के बीच, पिछले दशक से जीवनशैली के बदलते पैटर्न ने भारतीयों के लिए काफी हद तक बीमारियों का खतरा पैदा कर दिया है। निष्क्रिय जीवनशैली, अत्यधिक तनाव, जंक फूड पर निर्भरता के चलते, लोग जीवनशैली संबंधी विकारों के शिकार होते जा रहे हैं, जैसे दिल की बीमारियाँ, स्ट्रोक, कैंसर और डायबिटीज।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 69.1 मिलियन से अधिक डायबिटीज के पंजीकृत मामले हैं। डायबिटीज हमारे स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा बनने वाला है।
डायबिटीज के बाद, हमारे देश में उच्च रक्तचाप और कैंसर की समस्या तेजी से बढ़ रही है। आगे, चिकित्सा पर होने वाला खर्च तेजी से बढ़ रहा है। इसके दो कारण हैं – पहला, स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की बढ़ती मौजूदगी और दूसरा, सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवा ढाँचा का अभाव।
एक मशहूर कहावत है – शरीर ही सभी सुखों का मूल है। आपके जीवन की गुणवत्ता के निर्धारण में अच्छा स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण कारक है और बना रहेगा। तनावमुक्त जीवन जीने के लिए, स्वास्थ्य बीमा में निवेश अत्यावश्यक है।
स्वास्थ्य बीमा, सुरक्षा का वह उपाय है जो न केवल बीमारियों का उपचार कराने की आपकी क्षमता को बढ़ाता है, बल्कि आपकी गाढ़ी कमाई को खत्म होने से भी बचाता है। हालांकि, आपने भविष्य के लिए अवश्य निवेश किया होगा, लेकिन उसके साथ-साथ समान रूप से यह भी महत्वपूर्ण है कि आपने जो पैसे कमाए हैं, वो बचा रहे, जिससे किसी भी अप्रत्याशित स्थिति में आपके मन में सुरक्षा की भावना बनी रहेगी। इसलिए, सही उम्र में स्वास्थ्य बीमा खरीदना बेहद जरूरी है। सही उम्र का अर्थ उस उम्र से है जब हम अपेक्षतया अधिक स्वस्थ और तंदुरुस्त होते हैं। जीवन के शुरुआती अवस्था में ही स्वास्थ्य बीमा खरीदकर, स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का अधिक से अधिक लाभ हासिल किया जा सकता है।
यद्यपि अधिकांश स्वास्थ्य बीमा कंपनियाँ चिकित्सा खर्च को कवर करेंगी, लेकिन एक ऐसी भी कंपनी है जो आपके स्वास्थ्य को लेकर उतनी ही चिंतित होती है जितना आपके चिकित्सा खर्च को कवर करने को लेकर। आदित्य बिड़ला कैपिटल – हेल्थ इंश्योरेंस का उद्देश्य है – ‘व्यक्तियों को इस कदर सक्षम बनाना और प्रेरित करना ताकि वे अपने स्वास्थ्य की प्राथमिकता का निर्धारण कर सकें और संतोषप्रद जीवन जी सकें’। उनके प्रोत्साहक वेलनेस प्रोग्राम के जरिए, पॉलिसी धारक स्वस्थ रहने हेतु सक्रियतापूर्ण कदम उठाकर अपने प्रीमियम का 30% तक हासिल कर सकते हैं। यह HealthReturnsTM कॉन्सेप्ट के जरिये संभव होता है। HealthReturnsTM कॉन्सेप्ट नकदी के बराबर होता है, जिसका उपयोग स्वास्थ्य संबंधी खर्चों के लिए किया जा सकता है, जैसे-दवाएँ खरीदना, डायग्नॉस्टिक टेस्ट, डे केयर उपचार, आउट-पेशेंट खर्च के लिए भुगतान करना, वैकल्पिक उपचार (जो परंपरागत रूप से शामिल नहीं हैं), या सबसे महत्वपूर्ण रूप से, आप इसका उपयोग भविष्य के प्रीमियम का भुगतान करने के लिए कर सकते हैं।
आदित्य बिड़ला हेल्थ इंश्योरेंस का एक्टिव हेल्थ प्लान सुनिश्चित करता है कि जीवन में सफलता हासिल करने के लिए प्रयास करने के साथ-साथ आप स्वस्थ बने रहें और आपको स्वास्थ्य और सफलता के बीच किसी एक का चुनाव न करना पड़े। अपने नवीनतम टीवी विज्ञापन में, आदित्य बिड़ला कैपिटल – हेल्थ इंश्योरेंस लोगों को इस बात का अहसास दिलाता है कि जीवन में लक्ष्य और स्वास्थ्य के बीच चुनाव करने की स्थिति में, लोग किस तरह से अपने स्वास्थ्य की अनदेखी कर देते हैं।
तो देखिये कि किस तरह से वो जीवन में सही विकल्प का चुनाव करने, स्वस्थ रहने और उसका लाभ पाने में आपकी मदद करते हैं।
Input : Dainik Bhaskar
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जमीन व फ्लैट के निबंधन में एक जून से गवाह की जरूरत नहीं

बिहार में जमीन, फ्लैट, मकान समेत अन्य के निबंधन का प्रावधान 1 जून से बदल जाएगा। अब निबंधन में गवाह की अनिवार्यता समाप्त होने जा रही है। किसी तरह के निबंधन में दो या चार गवाहों को लाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, न क्रेता को और न ही बिक्रेता को।
इस नए प्रावधान के तहत निबंधन कार्यालय में सिर्फ जमीन या फ्लैट खरीदने और बेचने वाले ही आएंगे। इस नए नियम को बहाल करने को लेकर उत्पाद, मद्य निषेध एवं निबंधन विभाग ने आदेश जारी कर दिया है। साथ ही संबंधित कंपनी को सॉफ्टवेयर में अहम बदलाव करने को भी कहा है। इसके लिए 1 जून तक की डेटलाइन दी गई है। इस बदलाव से अब सिर्फ जमीन-फ्लैट के क्रेता या खरीदने वाले को अपना-अपना आधार नंबर देना होगा और इसे बायोमीट्रिक प्रणाली के जरिए वैध करना होगा।
राज्य में 137 निबंधन कार्यालय हैं। इन सभी में रोजाना औसतन 5 हजार निबंधन होते हैं। नई प्रणाली से भीड़ कम होगी और राजस्व बढ़ेगा।
इसलिए समझा जा रहा है यह जरूरी
निबंधन कार्यालयों में जमीन-फ्लैट की रजिस्ट्री के दौरान लोगों की नाहक होने वाली भीड़ को कम करना मकसद है। एक रजिस्ट्री में चार या इससे अधिक गवाह होने से काफी संख्या में लोगों का जमावड़ा लगा रहता है। इससे कार्यालय का कामकाज भी बाधित होता है और प्रक्रिया में समय भी अधिक लगता है। कई मामलों में गवाह जुटाने में भी कई बिचौलियों किस्म के लोग काफी सक्रिय रहते हैं। इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए यह नई प्रणाली बहाल की जा रही है।
Source : Hindustan
BIHAR
नीतीश निर्देश- मास्क लगाएं, अस्पताल अलर्ट रहें; केंद्र वैक्सीन नहीं दे रहा तो खरीदें…

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज 1 अणे मार्ग स्थित ‘संकल्प’ में कोरोना के बढ़ते मामले को लेकर उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। बैठक में स्वास्थ्य विभाग के सचिव संजय कुमार सिंह ने राज्य में कोरोना संक्रमण की अद्यतन स्थिति तथा विभाग द्वारा की गयी तैयारियों के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।
समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के कुछ राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। पिछले दो-तीन दिनों से बिहार में भी कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं। बिहार में अभी भी प्रतिदिन कोरोना की बड़ी संख्या में टेस्टिंग हो रही है। अभी पूरे देश में कोरोना की जितनी जांच हो रही है उसकी एक तिहाई जांच बिहार में हो रही है। देश में 10 लाख की आबादी पर कोरोना की औसत जांच 6 लाख के करीब है जबकि बिहार में 10 लाख की आबादी पर कोरोना की औसत जांच 8 लाख से ज्यादा हो रही है।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुये कहा कि पूरे राज्य में अधिक से अधिक टेस्टिंग करायें। जितनी अधिक जांच होगी, कोरोना संक्रमण के मामलों का पता चलेगा । कोरोना के मामले घटे या बढ़े कोरोना की निरंतर जांच जारी रखें। अस्पतालों में मरीजों के इलाज की पूरी व्यवस्था रखें। अस्पतालों में सभी प्रकार की दवायें एवं उपकरण उपलब्ध रखें । ऑक्सीजन की उपलब्धता भी सुनिश्चित करें। भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर लोग मास्क का प्रयोग करें। सभी को अलर्ट और एक्टिव रहना होगा। राज्य के सभी अस्पतालों में मॉक ड्रिल करायें एवं सभी प्रकार की तैयारियां रखें। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा कोरोना की
वैक्सीन उपलब्ध नहीं करायी जा रही है, इसको ध्यान में रखते हुये राज्य सरकार अपनी तरफ से कोरोना वैक्सीन खरीदकर लोगों का टीकाकरण जारी रखेगी।
बैठक में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, वित्त, वाणिज्य कर एवं संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मुख्य सचिव श्री आमिर सुबहानी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सह वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ० एस० सिद्धार्थ, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार, स्वास्थ्य विभाग के सचिव संजय कुमार सिंह एवं मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह उपस्थित थे।
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मुजफ्फरपुर शहर से हटाए गए चार हजार बैनर-पोस्टर

मुजफ्फरपुर : शहर से अवैध बैनर-पोस्टरों को हटाने का अभियान मंगलवार से शुरू हो गया। पहले दिन नगर निगम की टीम ने कंपनीबाग, मोतीझील, हरिसभा चौक,इमलीचट्टी, बटलर रोड व अन्य इलाकों में चार हजार से अधिक बैनर-पोस्टर हटाए। पोल व अन्य जगहों पर लगाए गए बैनर-पोस्टर को हटाने के बाद ट्रैक्टर में लोडकर डंप कर दिया गया।
सड़कों पर लगाए गए बैनर-पोस्टर पर धूल जमा हो जाती है। इस कारण हवा चलने या बड़े वाहनों के गुजरने पर सड़क के साथ बैनर-पोस्टर पर जमा धूल भी उड़ने लगती है। हालात की गंभीरता को देखकर नगर आयुक्त के आदेश पर कार्रवाई की जा रही है। नगर आयुक्त नवीन कुमार के मुताबिक, अवैध तरीके से लगाए गए बैनर-पोस्टर को हटाया जा रहा है।
Source : Hindustan
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