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चाह कर भी चुनाव नहीं लड़ सकते हैं अक्षय कुमार! ये है वजह…
अक्षय कुमार ने साल 2009 में एक फिल्म की थी, जिसका नाम था ‘चांदनी चौक टू चाइना’. फिल्म तो नहीं चली लेकिन इस साल के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले अफवाह चल पड़ी है कि अक्षय कुमार दिल्ली की चांदनी चौक सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी होंगे. दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों में […]
अक्षय कुमार ने साल 2009 में एक फिल्म की थी, जिसका नाम था ‘चांदनी चौक टू चाइना’. फिल्म तो नहीं चली लेकिन इस साल के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले अफवाह चल पड़ी है कि अक्षय कुमार दिल्ली की चांदनी चौक सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी होंगे. दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों में से एक चांदनी चौक सीट पर हमेशा से कांग्रेस की दावेदारी मानी जाती रही थी. जय प्रकाश अग्रवाल इस इलाके से दो बार सांसद चुने गए.
लेकिन इसके बाद भाजपा के विजय गोयल ने इस सीट पर सेंध लगाई और इस समय भाजपा के मुख्यमंत्री उम्मीदवार रहे डाक्टर हर्षवर्धन इस सीट से सांसद हैं. साल 2009 में उन्होंने आम आदमी पार्टी के आशुतोष और कांग्रेस के कपिल सिब्बल को हराकर ये सीट जीती थी.
इस साल अब तक चांदनी चौक सीट के लिए आम आदमी पार्टी ने अपने कैंडिडेट – पंकज गुप्ता का नाम घोषित किया है. चर्चा है कि भाजपा इस बार एक स्टार कैंडिडेट के तौर पर बॉलीवुड के ‘खिलाड़ी’ अक्षय कुमार को मैदान में उतार सकती है.
अक्षय कुमार दिल्ली के रहने वाले हैं और वो अक्सर दिल्ली के प्रति अपने प्यार का इज़हार करते आए हैं. ऐसे में उनके नाम पर लोग विचार भी करने लगे हैं. लेकिन आपको बता दें कि अक्षय कुमार का चुनाव में खड़ा होना इतना सरल नहीं है और ऐसा कहे जाने की एक बड़ी वजह है.
अक्षय कुमार की आगामी फिल्म केसरी जल्दी ही रिलीज़ होने वाली है. 51 साल के अक्षय कुमार ने इस फिल्म के प्रमोशन के दौरान खुद बताया कि वो वर्तमान लोकसभा चुनावों में अपने नाम की चर्चा सुन रहे हैं लेकिन वो राजनीति में आने की मंशा नहीं रखते.
अक्षय कुमार ने कहा कि वो फिल्मों के ज़रिए अपने संदेश को बेहतर तरीके से दे पाते हैं और अगले 5 सालों के लिए वो अपने कमिटमेंट बॉलीवुड में दे चुके हैं. वो फिल्मों में खुद को 5 साल देना चाहते हैं और इसलिए राजनीति में उतरने का उनका कोई इरादा नहीं है.
कई लोग ये भी कहते हैं कि अक्षय कुमार के पास भारत की नागरिकता ही नहीं है. अक्षय कुमार भारत के नागरिक नहीं हैं क्योंकि उन्होंने कनाडा की मानद नागरिकता स्वीकार कर ली थी. अक्षय कुमार की वोट देते हुए कोई तस्वीर भी सामने नहीं आती.
इस मसले पर अक्षय सिर्फ इतना कह पाए हैं कि उनकी सिटिज़नशिप वैसी नहीं है जैसी लोग समझते हैं. लेकिन ऐसे किसी भी व्यक्ति को भारत के लोकसभा चुनाव में हिस्सा लेने का अधिकार नहीं है जो इस देश का नागरिक न हो, या फिर उसके पास दोहरी नागरिकता हो.
अक्षय कुमार अपने लोकसभा चुनाव या किसी भी तरह के इलेक्शन में खड़े होने की बात से इंकार कर चुके हैं और वो बता चुके हैं कि वो राजनीति से दूर रहने वाले इंसान हैं. वो अपनी पत्नी ट्विंकल खन्ना को भी सलाह देते हैं कि वो राजनीतिक कमेंट करने से बचें.
हाल ही में अक्षय कुमार का नाम बाबा राम रहीम के साथ हुई एक विवादित मीटिंग में जोड़ा गया था जिसके लिए अक्षय ने अपनी सफाई जारी करते हुए कहा था कि वो बाबा गुरमीत राम रहीम से कभी नहीं मिले हैं.
ऐसे में अक्षय कुमार सक्रिय राजनीति का हिस्सा बनेंगे ये कहना बिल्कुल गलत होगा. इस समय वो बॉलीवुड में अपने करियर के पीक पर हैं और उनकी छवि भी बेहद साफ है. इस वक्त चुनाव में खड़ा होना उनके लिए अपनी इमेज को धक्का लगाने जैसा होगा और अक्षय ऐसा नहीं चाहेंगे.
Input : News18
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जमीन व फ्लैट के निबंधन में एक जून से गवाह की जरूरत नहीं

बिहार में जमीन, फ्लैट, मकान समेत अन्य के निबंधन का प्रावधान 1 जून से बदल जाएगा। अब निबंधन में गवाह की अनिवार्यता समाप्त होने जा रही है। किसी तरह के निबंधन में दो या चार गवाहों को लाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, न क्रेता को और न ही बिक्रेता को।
इस नए प्रावधान के तहत निबंधन कार्यालय में सिर्फ जमीन या फ्लैट खरीदने और बेचने वाले ही आएंगे। इस नए नियम को बहाल करने को लेकर उत्पाद, मद्य निषेध एवं निबंधन विभाग ने आदेश जारी कर दिया है। साथ ही संबंधित कंपनी को सॉफ्टवेयर में अहम बदलाव करने को भी कहा है। इसके लिए 1 जून तक की डेटलाइन दी गई है। इस बदलाव से अब सिर्फ जमीन-फ्लैट के क्रेता या खरीदने वाले को अपना-अपना आधार नंबर देना होगा और इसे बायोमीट्रिक प्रणाली के जरिए वैध करना होगा।
राज्य में 137 निबंधन कार्यालय हैं। इन सभी में रोजाना औसतन 5 हजार निबंधन होते हैं। नई प्रणाली से भीड़ कम होगी और राजस्व बढ़ेगा।
इसलिए समझा जा रहा है यह जरूरी
निबंधन कार्यालयों में जमीन-फ्लैट की रजिस्ट्री के दौरान लोगों की नाहक होने वाली भीड़ को कम करना मकसद है। एक रजिस्ट्री में चार या इससे अधिक गवाह होने से काफी संख्या में लोगों का जमावड़ा लगा रहता है। इससे कार्यालय का कामकाज भी बाधित होता है और प्रक्रिया में समय भी अधिक लगता है। कई मामलों में गवाह जुटाने में भी कई बिचौलियों किस्म के लोग काफी सक्रिय रहते हैं। इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए यह नई प्रणाली बहाल की जा रही है।
Source : Hindustan
BIHAR
नीतीश निर्देश- मास्क लगाएं, अस्पताल अलर्ट रहें; केंद्र वैक्सीन नहीं दे रहा तो खरीदें…

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज 1 अणे मार्ग स्थित ‘संकल्प’ में कोरोना के बढ़ते मामले को लेकर उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। बैठक में स्वास्थ्य विभाग के सचिव संजय कुमार सिंह ने राज्य में कोरोना संक्रमण की अद्यतन स्थिति तथा विभाग द्वारा की गयी तैयारियों के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।
समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के कुछ राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। पिछले दो-तीन दिनों से बिहार में भी कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं। बिहार में अभी भी प्रतिदिन कोरोना की बड़ी संख्या में टेस्टिंग हो रही है। अभी पूरे देश में कोरोना की जितनी जांच हो रही है उसकी एक तिहाई जांच बिहार में हो रही है। देश में 10 लाख की आबादी पर कोरोना की औसत जांच 6 लाख के करीब है जबकि बिहार में 10 लाख की आबादी पर कोरोना की औसत जांच 8 लाख से ज्यादा हो रही है।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुये कहा कि पूरे राज्य में अधिक से अधिक टेस्टिंग करायें। जितनी अधिक जांच होगी, कोरोना संक्रमण के मामलों का पता चलेगा । कोरोना के मामले घटे या बढ़े कोरोना की निरंतर जांच जारी रखें। अस्पतालों में मरीजों के इलाज की पूरी व्यवस्था रखें। अस्पतालों में सभी प्रकार की दवायें एवं उपकरण उपलब्ध रखें । ऑक्सीजन की उपलब्धता भी सुनिश्चित करें। भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर लोग मास्क का प्रयोग करें। सभी को अलर्ट और एक्टिव रहना होगा। राज्य के सभी अस्पतालों में मॉक ड्रिल करायें एवं सभी प्रकार की तैयारियां रखें। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा कोरोना की
वैक्सीन उपलब्ध नहीं करायी जा रही है, इसको ध्यान में रखते हुये राज्य सरकार अपनी तरफ से कोरोना वैक्सीन खरीदकर लोगों का टीकाकरण जारी रखेगी।
बैठक में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, वित्त, वाणिज्य कर एवं संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मुख्य सचिव श्री आमिर सुबहानी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सह वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ० एस० सिद्धार्थ, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार, स्वास्थ्य विभाग के सचिव संजय कुमार सिंह एवं मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह उपस्थित थे।
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मुजफ्फरपुर शहर से हटाए गए चार हजार बैनर-पोस्टर

मुजफ्फरपुर : शहर से अवैध बैनर-पोस्टरों को हटाने का अभियान मंगलवार से शुरू हो गया। पहले दिन नगर निगम की टीम ने कंपनीबाग, मोतीझील, हरिसभा चौक,इमलीचट्टी, बटलर रोड व अन्य इलाकों में चार हजार से अधिक बैनर-पोस्टर हटाए। पोल व अन्य जगहों पर लगाए गए बैनर-पोस्टर को हटाने के बाद ट्रैक्टर में लोडकर डंप कर दिया गया।
सड़कों पर लगाए गए बैनर-पोस्टर पर धूल जमा हो जाती है। इस कारण हवा चलने या बड़े वाहनों के गुजरने पर सड़क के साथ बैनर-पोस्टर पर जमा धूल भी उड़ने लगती है। हालात की गंभीरता को देखकर नगर आयुक्त के आदेश पर कार्रवाई की जा रही है। नगर आयुक्त नवीन कुमार के मुताबिक, अवैध तरीके से लगाए गए बैनर-पोस्टर को हटाया जा रहा है।
Source : Hindustan
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